नवरात्रि का आठवाँ दिन, जिसे महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरूप की आराधना की जाती है। साथ ही, कन्या पूजन या कन्या भोज का विशेष विधान है। इस परंपरा का उल्लेख पुराणों और शास्त्रों में मिलता है और इसे जीवन में सौभाग्य व समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
✨ कन्या पूजन का धार्मिक महत्व
- नवरात्रि में देवी शक्ति का वास कन्याओं में माना जाता है।
‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ — इस श्लोक के अनुसार जहां स्त्रियों और कन्याओं का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। - दुर्गा अष्टमी पर 9 कन्याओं की पूजा का विधान है।
ये नौ कन्याएँ मां दुर्गा के नवदुर्गा रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। - कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनके पांव धोना, रोली-चावल से तिलक करना, चुनरी पहनाना और भोजन कराना शुभ माना गया है।
🕉️ पूजा की विधि (कन्या पूजन का सही तरीका)
- सुबह ब्राह्म मुहूर्त से 09:30 AM (IST) तक पूजा प्रारंभ करना उत्तम है।
- 2 वर्ष से 10 वर्ष की कन्याओं को आमंत्रित करें।
- सबसे पहले उनके पांव धोकर आसन पर बैठाएँ।
- माथे पर कुमकुम व अक्षत से तिलक करें।
- कन्याओं को पूड़ी, चना, हलवा का भोजन कराएँ।
- पूजा के अंत में उन्हें दक्षिणा और लाल चुनरी अर्पित करें।
👉 यदि सभी 9 कन्याएँ उपलब्ध न हों, तो जितनी भी कन्याएँ आएँ, उन्हें विधिपूर्वक पूजना शुभ माना गया है।
🔮 ज्योतिषीय दृष्टि से कन्या पूजन का महत्व
ज्योतिष में कन्या पूजन को ग्रह दोष शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने वाला माना गया है।
- शनि और राहु–केतु से उत्पन्न कष्टों में राहत:
कन्या पूजन करने से पाप ग्रहों का प्रभाव कम होता है। - आर्थिक प्रगति:
जो जातक व्यवसाय या धन संबंधी रुकावट से परेशान हों, वे कन्या पूजन करके हलवा-पूड़ी का भोग लगाएँ। इससे लक्ष्मी कृपा मिलती है। - विवाह में विलंब:
जिनका विवाह अटक रहा है, वे अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन करें और कन्याओं को लाल चुनरी व चूड़ियाँ भेंट करें।
✅ व्यावहारिक उपाय
- नवरात्रि की अष्टमी पर कम से कम 2 कन्याओं का पूजन अवश्य करें।
- अगर घर में कोई बीमार है, तो कन्या पूजन के बाद उनके स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें।
- यदि नौकरी या प्रमोशन में रुकावट हो, तो कन्याओं को पढ़ाई का सामान (किताबें, पेन, कॉपी) भेंट करें।
- जीवन में मानसिक शांति और सुख-समृद्धि के लिए कन्याओं को मिठाई और फल बांटें।
🌸 निष्कर्ष
दुर्गा अष्टमी का कन्या पूजन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि स्त्री-शक्ति के सम्मान और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। ज्योतिष और शास्त्र दोनों मानते हैं कि कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनका पूजन करने से घर में समृद्धि, सौभाग्य और शांति आती है।
इसलिए इस वर्ष नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करें और देवी दुर्गा की कृपा पाएं।
प्रश्न: क्या कन्या पूजन केवल अष्टमी को करना चाहिए या नवमी को भी किया जा सकता है?
उत्तर: शास्त्रों में अष्टमी और नवमी दोनों दिन कन्या पूजन का विधान है। यदि अष्टमी को संभव न हो, तो नवमी पर भी यह पूजा पूर्ण फलदायी होती है।